आडंबर है वास्तविक शांति में सबसे बड़ा बाधक

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आडंबर है वास्तविक शांति में सबसे बड़ा बाधक

युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी प्रज्ञाश्री जी एवं सहवर्ती साध्वी प्रतीकप्रभा जी द्वारा प्रेरणा प्रदान करते हुए तेरापंथ सभा भवन में फरमाया गया। साध्वीश्री जी द्वारा नमस्कार महामंत्र के उच्चारण से कार्यक्रम का आगाज हुआ। पवन कच्छारा ने 'आत्मा भिन्न शरीर भिन्न है तुमने मंत्र पढ़ाया' से संपूर्ण श्रावक समाज की ओर से स्वागत अभिनंदन किया। साध्वी प्रज्ञाश्री जी ने अपने प्रेरणादाई प्रवचन में सम्यक दर्शन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि-सम्यक दर्शन जीवन की दिशा को मोड देता है जब मन में सत्य अहिंसा करुणा और आत्मचिंतन का दीप जलता है तभी सम्यक दृष्टि का उदय होता है। उन्होंने बताया कि आडंबर मनुष्य की वास्तविक शांति में सबसे बड़ा बाधक है। आडंबर और दिखावे से व्यक्ति अपने आत्मस्वरूप से दूर होता जाता है। साध्वीश्री ने श्रावक-श्राविकाओं को सरल जीवन, उच्च विचार और आत्मसाधना का मार्ग अपनाने की प्रेरणा दी। साध्वीश्री ने सुमधुर गीतिका द्वारा श्रावक समाज को संयमित जीवन जीने का संदेश दिया। तेरापंथ सभा अध्यक्ष यशवंत कुमार जी चोरडिया ने साध्वीश्री के प्रति अनंत अनंत कृतज्ञा ज्ञापित की व उपस्थित परिषद के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में उपस्थित जनों ने साध्वीश्री जी के चरणों में विनय, श्रद्धा अर्पित की ओर आध्यात्मिक शांति का अनुभव किया। कार्यक्रम का समापन साध्वीश्री के मंगल पाठ के श्रवण से हुआ।