इंसान जैन बने या न बने, लेकिन गुड मैन जरूर बने

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इंसान जैन बने या न बने, लेकिन गुड मैन जरूर बने

स्थानीय तेरापंथ भवन में 'शासनश्री' साध्वी जिनरेखा जी के सान्निध्य में तेरापंथ धर्मसंघ के अणुव्रत अनुशास्ता नवम आचार्य तुलसी के 112वें जन्मदिवस को अणुव्रत दिवस के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर 'शासनश्री' साध्वी जिनरेखा जी ने कहा कि जीवन में सदैव आत्मनिरीक्षण की प्रवृति होनी चाहिए चिंतन करके सक्रिय होकर स्वयं को जानने वाले व्यक्ति के जीवन में आनंद ,शांति,संयम का समावेश होता है आचार्य तुलसी ने अपने जीवन सफर में कांटो प्र भी नैतिक सुरभि का संचार किया आचार्य तुलसी जीवन की चिकित्सा करने वाले महापुरुष थे नशाखोरी ,रिश्वतखोरी ,भ्रष्टाचार जैसी बीमारियों के उन्मूलन के लिए प्राणी मात्र को नैतिकता ,सद्भावना जैसी दवा प्रदान की उन्होंने अपने क्रांतिकारी चिंतन से मानव जगत को नवीन राह प्रदान की सभी साधु साध्वियों, श्रावक समाज में निहित क्षमताओं को पहचान कर उनका विकास करने वाले दूरदृष्टि के धनी इतिहास पुरुष बने वर्तमान में अणुव्रत के भाष्यकार आचार्य महाश्रमण गांव-गांव जाकर हर जाति वर्ग का अणुव्रत के माध्यम से जीवन संचार का कार्य कर रहे है उन्होंने कहा कि व्यक्ति जैन बने या न बने लेकिन गुड मैन जरूर बने अणुव्रत ही इसका श्रेष्ठ माध्यम है। साध्वी मधुरयशा जी ने कहा कि जीवन के महासागर में गीत उसी के गाए जाते जिन्होंने स्वयं को संघर्षों में झोंक कर मानवता के लिए कार्य किया हो । साध्वी धवलप्रभा जी ने कहा कि आचार्य तुलसी ने अपने जीवन में चरैवेति चरैवेति मूल मंत्र को अपनाकर निरंतर प्रवर्धमान रहे। साध्वी मार्दवयशा जी ने कहा कि उनके जीवन में नवीनता थी नेतृत्व क्षमता बेजोड़ थी अन्वेषणकर्ता जैसी योग्यता के कारण जन-जन में लोकप्रिय हुए साध्वी वृंद ने आचार्य तुलसी को समर्पित सामूहिक गीतिका की प्रस्तुति दी। राधा चौपड़ा,नेमीचंद बालड़ ,मनोज चौपड़ा ने गीत, कविता ,भाषण के माध्यम से अपने भावों को व्यक्त कर आचार्य तुलसी के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित किए कार्यक्रम में संरक्षक नेमीचंद छाजेड़, सभा अध्यक्ष राकेश जैन, कोषाध्यक्ष मदन बालड़, अशोक मण्डोतर, मोहनलाल गोलेच्छा, गौतम मालू, महिला मंडल अध्यक्षा अनीता जैन, मंत्री कंचन मालू, कन्यामंडल प्रभारी कंचन डी मालू सहित श्रावक समाज उपस्थित रहा। आचार्य तुलसी के जीवनवृत को प्रस्तुत करते हुए कार्यक्रम का कुशल संचालन साध्वी श्वेतप्रभा जी ने किया।