मंगल भावना समारोह का आयोजन

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जयपुर।

मंगल भावना समारोह का आयोजन

भिक्षु साधना केंद्र, सोडाला, श्यामनगर में पावस प्रवास कर रहे संतद्वय मुनि तत्त्वरुचि जी 'तरुण' एवं मुनि संभव कुमार जी के चातुर्मासिक प्रवास की परिसंपन्नता पर बुधवार को मंगलभावना समारोह का आयोजन रखा गया। जिसमें बड़ी संख्या में उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं ने अपने-अपने अनुभव सुनाये। साथ ही मुनिश्री के मंगलमय संयम यात्रा के प्रति शुभकामना व्यक्त की। 'क्या खोया-क्या पाया' ? विषय पर अपने भाव प्रकट करते हुए श्रावक-श्राविकाओ में अपने विचार रखें - मुनिश्री के मुख मंडल से अर्हत वाणी का श्रवण कर हमने अपने अज्ञान को खोया और ज्ञान का अर्जन किया है।
इस अवसर पर मुनिश्री ने अपने प्रेरक उपदेश में कहा - हमारे भीतर ज्ञान का दीप सतत प्रदीप्त रहे। क्योंकि अज्ञान ही संसार में सर्वोपरि दु:ख का कारण है। मुनिश्री ने कहा - जिनवाणी का श्रद्धा से श्रवण, भक्ति भाव से आचरण और सेवा समर्पण आदि दु:ख मुक्ति के और शाश्वत सुख-शांति पाने के आधारभूत कारण है। इस अवसर पर मुनिश्री संभवकुमार जी ने मुक्तक से तथा जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा अध्यक्ष श्री शांतिलाल जी गोलछा, मंत्री सुरेंद्र सेखाणी, राजकुमार बरडिया, ओमप्रकाश जैन, राजेंद्र कुमार बांठिया (वरिष्ठ उपाध्यक्ष सभा), कमल सेठिया, प्रवीण बांठिया (अध्यक्ष, भिक्षु साधना केंद्र), पवन जैन (उपाध्यक्ष अणुव्रत समिति), तेरापंथ महिला मंडल (सी-स्कीम) अध्यक्षा कनक आंचलिया, मंत्री राजश्री बाफना, प्रेम मेहता, सुशीला नखत, सुरेंद्र सेठिया, सौरभ जैन (आंचलिक संयोजक ज्ञानशाला), तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष रवि छाजेड़, अभिषेक भंसाली, प्रज्ञा सुराणा, सुशीला पुगलिया, कुसुम घोड़ावत, श्रद्धा जैन, सीमा दूगड़, ज्ञानशाला की जिनिशा जैन, प्रणव घोड़ावत, मास्टर रतन जैन, शहर महिला मंडल मंत्री पायल जैन, बाबूलाल बैद, अमृतलाल बैद, शांता कोठारी, सुमेर चन्द बांठिया, हेमा नाहटा, तारा छाजेड़, टीपीएफ के दीपक जैन, सुशीला बोथरा, रणजीत हीरावत आदि ने अपने विचारों से मुनिश्री के प्रति मंगल भावना व्यक्त की।
मौके पर ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाओं तथा तेरापंथ महिला मंडल की बहनों ने स्वतंत्र गीत की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में सैकड़ो लोगों ने सामूहिक रूप से मुनिश्री के उपकारों के प्रति कृतज्ञता प्रकट की तथा खमतखामणा भी किये। इस अवसर पर सुरभि सेठिया सुपुत्री शांतिलाल सेठिया ने 11 की तपस्या का प्रत्याखान भी किया। परिवार की बहिनों ने सामूहिक गीत गाकर तप अनुमोदना की। मौके पर साहित्य भेंट कर तपस्वनी बहिन का बहुमान किया गया।