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सात दिवसीय अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का समापन समारोह
आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी डॉ. गवेषणा जी आदि ठाणा- 4 के पावन सान्निध्य में सात दिवसीय अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का समापन समारोह धूमधाम से तेरापंथ भवन डी. वी. कॉलोनी में आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वीश्री के नमस्कार महामंत्र से किया गया। जीवन विज्ञान पर अणुव्रत समिति की बहनों द्वारा बदले युग के द्वारा से सुमधुर मंगलाचरण किया गया। अणुव्रत समिति के अध्यक्ष राजेंद्र बोथरा ने सभी का स्वागत किया। प्रियंका नाहटा स्कूल मेनेजमेंट सेल कोर्डिनेटर जीवन विज्ञान विभाग ने जीवन विज्ञान विषय पर अपने सारगर्भित वक्तव्य रखें। श्वास हमें सही कैसे लेना बताया।
इस अवसर पर साध्वी डॉ.गवेषणाश्री जी ने अपने उद्बोधन में कहा - जीवन विज्ञान के महत्वता को देते हुए कहा जीवन विज्ञान जीने की कला है। कलापूर्ण जीवन ही श्रेष्ठ होता है। जीवन विज्ञान का उद्देश्य स्वस्थ व्यक्तित्व का निर्माण करना है। जीवन विज्ञान स्वस्थ समाज की संरचना का एक प्रयोग है। मौजूदा शिक्षा पद्धति और संतुलित है। इसमें शारीरिक विकास, मानसिक विकास, भावनात्मक विकास आदि के विकास के लिए गतिविधियां होती है बुद्धि विकास के लिए भी प्रयास किए जाते हैं। जीवन विज्ञान के रूप में हमारे पास इस समस्या के कई समस्याओं का समाधान है जैसे साध्वीश्री ने कहा A एसिडिटी- एसिडिटी से हम किस तरह बच सकते हैं हम कैसे मुक्त हो सकते हैं इस बारे में जानकारी, B बीपी, C कोलेस्ट्रॉल, D डिप्रेशन डायबिटीज- आदि से हम कैसे बच सकते हैं। इनके छोटे छोटे सरल उपाय बताये। हमें अपनी प्रकृति व परिवेश को समझ लेना चाहिए। प्राकृतिक आहार लेने से जहां धन, श्रम, समय व खाद्य की बचत होगी। वहीं बाहरी रासायनिक तत्वों की मिलावट का भय भी नहीं रहेगा। प्राकृतिक आहार स्वस्थ रहता है साथी हमारा शरीर निरोगा, फुर्तीला, सबल, और पुष्ट रहेगा।
प्राकृतिक अवस्था में खाना हितकर वह कल्याणकारी होता है। हर ऋतु में प्रकृति वहीं खाद्य वस्तुएं उत्पन्न करती है जिनसे रोगों का शमन होने में मदद मिलती है तथा जिन्हें खाने से उसे ऋतु के अनुसार पोषण मिलता है जिससे हमारी आयु लंबी व काया निरोगी बनती है। सात्विक या प्राकृतिक खाद्य पदार्थों का सेवन करना सर्वश्रेष्ठ माना गया है. सात्विक भोजन करने वाले के मन आत्मा और शरीर तीनों शुद्ध और पवित्र होते हैं इसलिए सदैव सात्विक आहार ग्रहण करना चाहिए जिससे शरीर निरोगी वह दीर्घायु बनता है। हमारे शरीर का एंटीना मेरुदंड शक्ति केंद्र है। पृष्टरज्जू के निचला हिस्सा है, निचे से मस्तिष्क तक हमारी ऊर्जा जाती है। अवचेतन व चेतन मन को ब्लेन्स करता है। हमें सही पोजीशान में सीधा बैठना चाहिए।
साध्वी श्री ने थायराइड को संतुलित करने के सरल क्रिया बताई, कई यौगिक क्रिया की जानकारी दी हमें अपनी दिनचर्या में करने से स्वस्थ रह सकते है। ज्ञान केंद्र पर बुद्धि विकास, ज्ञान विकास के प्रयोग का ध्यान करवाये। साध्वी मयंक प्रभा जी ने अपनी उद्बोधन में कहा पहले खुद जीवन विज्ञान को समझें और फिर इसे आसपास के लोगों को समझाएं आज अणुव्रत और जीवन विज्ञान की जुगलबंदी अपनी व्यापक प्रभावशीलता के साथ आगे बढ़ाने को तत्पर है वर्तमान में आचार्य श्री महाश्रमण जी अणुव्रत आंदोलन को नई ऊंचाइयों पर देखना चाहते हैं। साध्वी मेरुप्रभा जी ने जीवन विज्ञान पर ओजस्वी भावपूर्ण गीतिका की प्रस्तुति दी। साध्वी दक्ष प्रभा जी ने जीवन विज्ञान के प्रोग्राम का कुशल संचालन के साथ सु मधुर गीतिका का सांगान किया एवं आभार ज्ञापन संतोष गुजरानी ने किया। प्रकृति की प्रहरी जो हैदराबाद में प्रथम, द्वितीय, तृतीय आए उनके रिजल्ट अणुव्रत समिति की मंत्री रीता सुराणा ने सभी को जानकारी दी व महिला मंडल के तत्वावधान में होने वाले 9 अक्टूबर के प्रोग्राम की जानकारी दी गई। अणुव्रत समिति के उपाध्यक्ष अनिलजी कातरेला व अशोक मैडतवाल सिकंदराबाद सभा के मंत्री हेमंत संचेती आदि उपस्थित थे। साध्वीश्री के मंगल पाठ से कार्यक्रम का समापन हुआ।