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प्रणति जपोत्सव का भव्य आयोजन
प्रोफेसर डॉ. साध्वीश्री मंगलप्रज्ञा जी की प्रेरणा से नमस्कार महामंत्र का घर-घर में चातुर्मासिक जप अभियान संचालित हुआ। जप समापन अवसर पर प्रणति जपोत्सव के रूप में साध्वीश्री द्वारा विशेष अनुष्ठान करवाया गया। साध्वीश्री ने विशाल परिषद को संबोधित करते हुए कहा कि — नमस्कार महामंत्र श्वासोच्छ्वास के समान है। जैसे जीवन का संचालन श्वासोच्छ्वास से होता है, उसी प्रकार अध्यात्म की यात्रा नवकार मंत्र से प्रारंभ होनी चाहिए। जैन साधकों को जीवन से मृत्यु तक मरमेष्ठी आज्ञावंदन करनी चाहिए। यह शक्तिशाली भक्ति-परक महामंत्र हमें विरासत में प्राप्त हुआ है, जो हमारी सुरक्षा, गौरव और परंपरा का प्रतीक है। नमस्कार महामंत्र हमें शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक समाधि प्रदान करता है। इस महामंत्र की आराधना निष्ठा, आस्था और श्रद्धा के साथ करनी चाहिए, जिससे अनुभवगत आनंद, शक्ति व शांति की प्राप्ति होती है। इसके माध्यम से जीवन के कई गूढ़ रहस्यों का उद्घाटन होता है तथा समस्याओं का समाधान भी प्राप्त होता है।
साध्वीश्री द्वारा बीज मंत्रों के साथ पंचभूत (तत्व) साधना का विशेष प्रयोग करवाया गया। उल्लेखनीय है कि चातुर्मास के दौरान सैकड़ों कार्यक्रमों के साथ सौ करोड़ भिक्षु जप आराधना का आयोजन किया गया, जिसमें श्रावक-परिवारों ने घर-घर में नमस्कार महामंत्र का जप अनुष्ठान किया। तेरापंथ सभा सदस्यों तथा भजन मंडली ने मंत्रों के राजा नमस्कार मंत्र का उच्च स्वर व मधुर भावों के साथ संगान किया। साध्वी सुदर्शनप्रभा जी तथा साध्वी राजुलप्रभा जी ने प्रणति जपोत्सव आरोहण मंगल महाप्रज्ञा गीत का संगान कर संपूर्ण साधकों को भक्ति-रस से अभिभूत कर दिया। इस महामंत्र जप अभियान में लोगों ने पूर्ण निष्ठा व तल्लीनता से भाग लिया।
अनेक परिवारों ने प्रथम बार अपने घर में जप-अनुष्ठान कर आनंद, शक्ति और सकारात्मक अनुभव प्राप्त किए। समापन अवसर पर साध्वीश्री ने संपूर्ण परिषद को नमस्कार महामंत्र को जीवन-यात्रा से अनिवार्य रूप से जोड़ने की प्रेरणा प्रदान की। उपासक अर्जुन मोड़तवाल ने साध्वीश्री के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए काव्यात्मक भावांजलि अर्पित की। जप-कर्ताओं ने अपने अनुभव साझा किए तथा आगामी जप आयोजन हेतु संकल्प भी व्यक्त किया।