नवसम्वत्सर आध्यात्मिक अनुष्ठान एवं मंगल पाठ

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किलपॉक, चेन्नई।

नवसम्वत्सर आध्यात्मिक अनुष्ठान एवं मंगल पाठ

युगप्रधान आचार्य महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि मोहजीत कुमार जी के सान्निध्य में भिक्षु निलयम,किलपॉक में वीर संवत 2552 के प्रथम दिन का आगाज श्री, धी, धृति, शान्ति, शक्ति, तेजस्विता और विघ्न हरण मंत्रों की आराधना से हुआ। नवसम्वत्सर आध्यात्मिक अनुष्ठान का उप‌क्रम नमस्कार महामंत्र के साथ सिद्ध स्तवन आदि अनेक विशिष्ट मंत्रों के संगान से प्रवर्धमान किया गया। मुनिश्री मोहजीत कुमार जी ने मंत्राराधक विशाल परिषद को संबोधित करते हुए‌ कहा कि नव वर्ष आचार में पवित्रता, विचार में उदारता, व्यवहार में पारदर्शिता, भाषा मे माधुर्यता का संचार करने वाला बने।
जीवन की हर प्रकृति संयमित और सात्विक हो। शारीरिक, मानसिक, भावात्मक और आध्यात्मिक ऊर्जा का विकास हो। जीवन का हर पल ऊर्जावान-मंगलमय हो। इस अवसर पर मुनि जयेश कुमार जी ने कहा - मानव को नव्यता पसंद है। हर चीज अपग्रेडेड और नई होनी चाहिए। यह नव्यता की चाह सिर्फ बाहरी वस्तुओं के लिये ही ना हो अपितु हम अपने आप में भी नयापन लाएं। नव संवत्सर के अवसर पर हम ऐसे संकल्प ग्रहण करे जो हमें हमारे नए स्वरूप को डिस्कवर करने और बेहतर भविष्य के निर्माण में योगभूत बने। सभाध्यक्ष अशोक परमार ने सम्पूर्ण समाज को दीपावली एवं नव संवत्सर की शुभकामनाएं प्रेषित की।