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आचार्यश्री तुलसी का 112वां जन्मोत्सव मनाया गया
तेरापंथ भवन में विराजित साध्वी सम्यकप्रभाजी ठाणा-4 के सान्निध्य में आचार्य श्री तुलसी के 112वें जन्मोत्सव मनाया गया। साध्वीश्री द्वारा नमस्कार महामंत्र के उच्चारण से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। साध्वी श्री सम्यकप्रभाजी ने अपने मंगल उद्बोधन में फरमाया कि गुरुदेव तुलसी ने तेरापंथ धर्मसंघ को सात समन्दर पार पहुंचाया। तुलसी की लंबी जीवन यात्रा एवं विकास कार्य में कुछ नया करने का साहस था। 22 वर्ष में आचार्य बनकर उन्होंने अपनी यात्रा का शुभारंभ किया। आपकी वाणी इतनी आकर्षक थी कि जब वो बोलते तब लोगों खींचें चले आते हैं। आपने जो अणुव्रत का बीज बोया वह किसी जाति संप्रदाय के लिए नहीं समूचित मानव जाति के लिए एक प्रेरणा बनकर सार्थक हुआ। साध्वीश्री ने आमेट अणुव्रत समिति के कार्यों की सराहना की।
साध्वी सौम्यप्रभा जी ने आचार्य तुलसी के अवदानों को गीतिका के माध्यम से प्रस्तुत किया। साध्वी दीक्षितप्रभा जी ने कहा कि आचार्य श्री तुलसी अपने शरीर की चिंता ना कर धर्मसंघ के विकास पर ज्यादा चिंतन करते थे। राष्ट्रसंत तुलसी को भारत ज्योति सम्मान जैसे अनेक सम्मान मिले। आचार्यश्री तुलसी ने अनेकों अवदानों के द्वारा तेरापंथ धर्मसंघ को शिखरों पर पहुंचाया हैं । ऐसे महापुरुष को श्रद्धानंत नमन करते हैं। इस अवसर पर प्रेमादेवी रांका ने सुमधुर गीतिका से आचार्यश्री तुलसी को वंदन किया। सभी संस्था के पदाधिकारी महोदय व श्रावक- श्राविकाओं की अच्छी उपस्थिति रही।