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जीवन विज्ञान व्यक्तित्व निर्माण कार्यशाला
विद्यार्थी का सर्वांगीण विकास जीवन विज्ञान से संभव है मुनि प्रसन्न कुमार ने शिक्षा के चार आयाम है (1) शारीरिक (2) मानसिक (3) बौद्धिक (4) भावनात्मक विकास। अभिभावकों का लक्ष्य होता है कि बच्चों का सर्वांगीण विकास एवं निर्माण अच्छे तरीके से हो। जीवन विज्ञान व्यक्तित्व निर्माण और विकास का महत्वपूर्ण आयाम है। इनके प्रयोग से व्यक्ति के भीतर और बाहर परिवर्तन लाया जा सकता है, जिससे एक अच्छे व्यक्तित्व का निर्माण होता है। संस्कारों की शिक्षा भावनात्मक परिवर्तन से ही संभव होती है। भीतर के सकारात्मक हार्मोन्स और सही स्वास्थ्य के लिए प्रेक्षाध्यान, कयोत्सर्ग एवं दीर्घश्वास, महाप्राण ध्वनि आवश्यक है- उक्त विचार जूनावास स्कूल के विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को मुनि प्रसन्न कुमार ने संबोधित करते हुए कहा।
मुनिश्री ने जीवन विज्ञान के प्रयोग भी कराए एवं नशा मुक्त जीवन जीने का विद्यार्थियों से संकल्प भी कराया। अणुव्रत सप्ताह का सातवां दिन जीवन विज्ञान के कार्यक्रम की शुरुआत अणुव्रत गीत से की गई। मुनि धैर्य कुमार जी ने महाप्राण ध्वनि का जीवन में फायदे बताते हुए बच्चों को प्रयोग कराया। विद्यालय के प्रिंसिपल किशन लाल शर्मा ने गंगापुर की तुलसी अमृत महाविद्यालय में बच्चों को प्रवेश का जोर देते हुए कहा कि वहां जीवन विज्ञान और संस्कार ज्ञान सिखाया जाता है जिससे बच्चों में संस्कारों का अत्यधिक निर्माण होगा। अंत में दोनों मुनिश्री के प्रति सभी के द्वारा आभार व्यक्त किया गया। इस कार्यक्रम मे स्कूल स्टाफ मंच संयोजिका प्रीती रांका, सह सयोंजिका रितु मेहता, सपना लोढ़ा, अंजना रांका, लविश रांका सभी का सहयोग रहा।