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सम्यक दर्शन कार्यशाला का सफल आयोजन
आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी संयमलता जी के पावन सान्निध्य में अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद् एवं समण संस्कृति संकाय द्वारा निर्देशित सम्यक दर्शन कार्यशाला का 10 दिवसीय आयोजन तेयूप विजयनगर द्वारा सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस वर्ष तेरापंथ के आद्य प्रवर्तक महामना आचार्य भिक्षु के जीवन पर आधारित इस कार्यशाला में भिक्षु त्रिशताब्दी वर्ष के अवसर पर आर्य प्रवर के प्रति समर्पण भाव रखते हुए 300 से अधिक श्रावक-श्राविकाओं ने सहभागिता दर्ज कराई तथा परीक्षा हेतु आवेदन फॉर्म भरे। साध्वी संयमलता जी ने अपने मंगल प्रवचन में कहा– 'आचार्य भिक्षु ने जो कहा वह आर्ष वाणी बन गया। जो लिखा वह शास्त्र बन गया, और जो देखा वह पंथ बन गया। उनके जीवन का प्रत्येक पृष्ठ सत्यग्राहिता, सहिष्णुता, उदारता और समताभाव से ओतप्रोत था। कार्यशाला के माध्यम से श्रावक समाज उनके सिद्धांतों को समझने और जीवन में उतारने में सक्षम बनेगा।' कार्यशाला में साध्वी मार्दवश्री जी ने ‘आचार्य भिक्षु’ ग्रंथ को अत्यंत रोचक और सरल शैली में श्रावकों के समक्ष प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि आचार्य भिक्षु के विचार धर्मक्रांति के प्रेरक हैं। उनकी दृष्टि में निश्चय और व्यवहार दोनों का समन्वय है। बुद्धि की प्रखरता और अनुभव की सघनता उनके जीवन में स्पष्ट दिखाई देती है। 'एक आचार्य, एक आचार और एक विचार' के सिद्धांत पर आधारित उनका जीवन आज भी तेरापंथ धर्मसंघ को अनुकरणीय बनाता है। कार्यशाला के प्रत्येक सत्र के पश्चात साध्वीश्री द्वारा महिला एवं पुरुष वर्ग से 2-2 प्रश्न पूछे गए, जिनके सही उत्तर देने वालों को मनोहरलाल, राकेश-मुकेश बाबेल परिवार द्वारा पारितोषिक प्रदान किए गए। कार्यशाला का समापन 7 अक्टूबर को हुआ। इस अवसर पर तेयूप विजयनगर अध्यक्ष विकास बाँठिया ने सभी का स्वागत किया तथा कार्यशाला संयोजक एवं परिषद् उपाध्यक्ष पवन बैद ने परीक्षा से संबंधित जानकारी दी। इस सफल आयोजन में पवन बैद, मनीष श्यामसूखा एवं बरखा पुगलिया के श्रम एवं योगदान की सराहना की गई।