रचनाएं
मुनिश्री अभय कुमार जी के देवलोक गमन पर उद्गार
तुलसी गुरू कर कमल से दीक्षा की स्वीकार।
सरदारशहर के लाडले, मुनिवर अभय कुमार।।
सुदूर प्रांतों में भ्रमण, गुरू आज्ञा अनुसार।
लंबे लंबे हैं किये, क्रमशः कई विहार।।
तुलसी महाप्रज्ञ वत ही, महाश्रमण भगवान।
ध्याये मुनिवर ने सतत, इसका हर्ष महान।।
मुुनिश्री विनय कुमार के, सहयोगी सुखकार।
चंडीगढ़ से ले विदा, पहुंचे सुरपुर द्वार।।
स्मृति सभा में कर रहे, मुनिवर के गुणगान।
कमल हृदय की भावना, शीघ्र वरें शिव स्थान।।