रचनाएं
मुनिश्री अभय कुमार जी के देवलोक गमन पर उद्गार
सरदार शहर के लाडले, मुनिवर अभयकुमार।
भाई भी साथ में, रहते एकाकार।।
अस्वस्थ काल में, आपका चंडीगढ़ प्रवास।
विनय मुनि ने ह्रदय से, सेवा की सोल्लास।।
स्नेह भाव रखते सदा, शांति श्रेयांस के साथ।
जब भी मिलते प्रेम से, करते दिल की बात।।
आज स्मृतियां कर रहे, जो बीते पल साथ।
शीघ्र वरो निर्वाण पद, श्रेयांस हृदय की बात।।
हरियाणा-पंजाब की राजधानी विख्यात।
चंडीगढ़ में अंत में, चले छोड़ निज ख्यात।।