“शासनश्री” मुनि मणिलाल जी के देवलोक गमन पर उद्गार

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मुनि कमल कुमार

“शासनश्री” मुनि मणिलाल जी के देवलोक गमन पर उद्गार

तुलसी गुरू कर कमल से, दीक्षा की स्वीकार।
महाप्रज्ञ महाश्रमण से, प्राप्त किया सत्कार।।
गुरू कुल में लंबे रहे, चम्पक मुनि के साथ।
भाई जी महाराज की, सेवा की दिन रात।।
चम्पक सागर संत की, सेवा की दिल खोल।
छायावत प्रतिपल रहे, जन-जन के हैं बोल।।
सिरियारी में हैं किये, सर्वाधिक चौमास।
भावी को मंजूर था, जयपुर अंतिम श्वास।।।
अतुल मुनि को अंत में, अवसर मिला महान।
स्मृति सभा में कर रहे, मुनिवर के गुणगान।।