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40 दिनों का प्रवास रहा ऐतिहासिक
आचार्यश्री महाश्रमण जी की विदुषी शिष्या डा. समणी मंजूप्रज्ञा जी एवं समणी स्वर्णप्रज्ञा जी का दुबई में 40 दिन का प्रवास रहा। समणी वृन्द के स्वागत समारोह में 100 से अधिक श्राविकाओं ने भाग लिया और गुरूदेव एवं समणी जी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की। How do We Start the Daily Routine विषय पर समणी मंजुप्रज्ञा जी ने सहज और प्रेरक प्रवचन दिया। पर्युषण काल में 4 गति विषय पर व्याख्यान माला रही। जिसमें लोगों की हाइब्रिड विशेष उपस्थिति रही। तेरापंथी ही नहीं अपितु अन्य जैन समुदाय के श्रावक-श्राविकाओं ने भी लाभ उठाया। 13 की तपस्या, अठाई तेले, अनेक उपवास हुए एवं संवत्सरी के दिन 27 पौषध और 2 संवर हुए तथा श्री जैन संघ के साथ सामूहिक क्षमायाचना का कार्यक्रम रखा गया। जिसमें समणी जी का उत्कृष्ट प्रवचन रहा। श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ दुबई सभा ने समणी जी के सान्निध्य में भक्तामर अनुष्ठान कराया गया। जिसमें 90 से अधिक श्राावक-श्राविकाओं ने भाग लिया। इस पावन अवसर पर सभी ने गहन आध्यात्मिक आन्नद और लाभ अनुभव किया। इसी के साथ सुमित बोथरा के घर पर प्रस्थान हुआ।
आचार्यश्री भिक्षु चरमोत्सव के अवसर पर अखंड जप 6: 00 बजे से 6: 30 बजेर तक 50 श्रावक श्राविकाओं ने किया तथा अनेक लोगों ने घर-घर जाप किया। इसी के साथ रात्रिकालीन भक्ति संध्या का भी आयोजन किया गया। जिसमें 100 से अधिक लोगों की उपस्थित रही और भक्ति का लाभ उठाया। 1.5 वर्ष तक के बच्चो ने उत्साह के साथ भाग लिया। नशाला के विद्यार्थियों ने आचार्य भिक्षु के जीवन की झांकी अत्यंत सुंदर और प्रभावशली ढंग से प्रस्तुत की। समणीजी का श्रम संघ प्रभावक रहा। समणी वृन्द के सान्निध्य में ध्यान शिविर का सफल आयोजन किया गया। शिविर के दौरान विविध मंत्रों की साधना सम्पन्न हुई जिसमें लगभग 80 अदभुत श्रावक श्राविकाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लेकर आध्यात्मिक लाभ प्राप्त किया। जिसमें तेरापंथी स्थानकवासी मंदिर वालों ने भी भाग लिया। विजय बैद, परीक्षित, दीपक, शोभा का श्रम प्रशंसनीय रहा।
समणी वृंद आबूधाबी भी पधारे और वहां से उन्होंने भक्तामर अनुष्ठान कराया गया। उपस्थित सभी ने उनके मार्गदर्शन और सान्निध्य का लाभ उठाया। मंगल भावना समारोह का आयोजन किया गया। छोटे बच्चों से लेकर वृद्धजनों ने अपने विचार व्यक्त किये तथा समणी वृन्द के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए गुरु आज्ञा से पुनः दुबई पधारने की अर्ज की। इस पुण्य अवसर पर लगभग 250 से अधिक श्रावक-श्राविकाओं की उपस्थिति रही। और इस प्रवास में सभा अध्यक्ष अमित बैद, मंत्री ज्योति समदरिया, उपाध्यक्ष परिक्षित बैद एवं देवेन्द्र मेहता, सुमित बोथरा, राजेन्द्र बैंगानी, दिनेश कोठारी, राकेश पटावरी ने समणी जी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की। युवति मण्डल ने 16 सतियों की प्रस्तुति की एवं महिला मण्डल ने राजमाताएं बनकर मंगल भावना व्यक्त की। ऐसा ऐतिहासिक प्रवास एवं श्रम की सरिता से अद्भूत संघ की प्रभावना इुई। 8 अट्ठाइ एवं सुमित बोथरा ने 13 की तपस्या की।
सरोज ने 11 की तपस्या कर बेटे का साथ दिलाया। ललित प्रमिला मुथा, पुजा मेहता, कपिल जैन, श्वेता जैन, गुज्जन जैन, नवनीता पटावरी ने मासखमण की तपस्या कर पूरे UAE में पहली बार नव इतिहस रचाया। समणी वृंद के मार्गदर्शन में बच्चों ने use me and dont use me विषय पर अत्यंत सुंदर प्रस्तुति दी। श्राविकाओं ने 16 महासतियों पर आधारित एक शब्द-चित्र गीतिका के साथ भावपूर्ण प्रस्तुति दी। समणी वृंद ने श्रावक समाज को बारह व्रत के बारे में जानकारी दी गई। हमें यह बताते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है कि समणी वृंद की प्रेरणा से लगभग 125 श्रावक-श्राविकाओं ने श्रद्धापूर्वक 12 व्रत स्वीकार किए।
समणी वृन्द 40 दिन के प्रवास के दौरान दुबई 80 के लगभग, शाहजहां और आबू धाबी के घरें में पधारें। कभी कभी एक दिन में आपने 10-12 घरों में भी पधारना हुआ। न केवल तेरापंथी परिवार अपितु अन्य जैन समुदाय के घरों में भी धर्म की ज्योत जलाईं। समणी वृन्द के अथक परिश्रम एवं प्रेरणा से जो परिवार अभी तक संपर्क में नहीं थे वे सभी संघ की गतिविधियों में सम्मिलित होने लगे हैं। इस प्रवास को सफलतम बनाने में सभाध्यक्ष अमित बैद, सुमित बोथरा एवं प्रदीप छाजेड़ का विशेष सहयाेग रहा और उनकी पूरी टीम का अथक परिश्रम रहा।