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आत्मा का टॉनिक है - ज्ञान, ध्यान, तप और त्याग
शरीर पुष्टि के लिए कई प्रकार के टॉनिक बाजार में उपलब्ध हो सकते हैं। लेकिन आत्मा की पुष्टि के लिए तो ज्ञान, ध्यान, तप, त्याग, जप, स्वाध्याय आदि टॉनिक ही उपयोगी होते हैं। ये विचार मुनि तत्त्वरुचि जी 'तरुण' ने रविवार को भिक्षु साधना केंद्र, श्यामनगर में 'संतुलित पोषण, स्वस्थता का लक्षण' विषय पर प्रवचन देते हुए वक्तव्य दिया मुनिश्री ने बताया कि शरीर की स्वस्थता के लिए संतुलित पोषण की चर्चा-वार्ता बहुत होती है। मन, भाव और आत्म पोषण के विषय में कोई विशेष ध्यान नहीं है। जबकि ये हमारे जीवन के लिए सर्वाधिक उपयोगी और आवश्यक है। उन्होंने कहा - तन मन के पीछे है। मन को मजबूत करना जरूरी है। तप-त्याग, शुभ-संकल्प मन के टॉनिक है। मुनि संभवकुमार जी ने कहा - शरीर धर्म ध्यान का साधन है। मानव शरीर से ही मोक्ष की आराधना होती है। अतः संयम साधना की दृष्टि से शरीर का पोषण अनुपयोगी नहीं है। आत्मोन्नति जीवन का मुख्य ध्येय होना चाहिए। तीर्थंकर अनंत प्रभु की स्तुति से प्रवचन का प्रारंभ हुआ। मुनिश्री के चातुर्मासिक परिसंपन्नता के अवसर पर भिक्षु साधना केंद्र, श्याम नगर में मंगल भावना का कार्यक्रम रखा गया है।