परिवार में प्रेम का निवास, देता  स्वर्ग सा आभास

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चेन्नई।

परिवार में प्रेम का निवास, देता स्वर्ग सा आभास

ट्रिप्लीकेन स्थित तेरापंथ भवन मे युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण के शिष्य मुनि दीपकुमार ठाणा-2 के पावन सान्निध्य में परिवार मे न हो तकरार विषयक कार्यशाला का आयोजन ट्रिप्लीकेन तेरापंथ ट्रस्ट के तत्वावधान मे संपन्न हुआ। मुनि दीपकुमार ने कहा- जिस परिवार मे प्रेम है, वह मानो धरती पर स्वर्ग है। जहां लोगों के बीच प्रेम, आनन्द, आदर, सम्मान, आत्मीयता व सहभागिता के पुष्प सुरभित रहते है, समझ लिजिये वह स्वर्ग है। मानव जीवन मे इन सारे संस्कारों का सृजन उसी तरह होता है, जैसे बगिचे मे भांति-भाति के पुष्प खिला करते है। जहां परिवार मे टुटन- घुटन, द्वेष - कलह, मनोमालिन्य है, समझिए वहां नरक का बसेरा है। आज पारिवारिक संबन्ध पारे की तरह बिखर रहे है। आपस मे दूरियां है, सबकी अपनी-अपनी मजबुरियां है।अविश्वास और संदेहो के घेरे मे सभी जी रहे है। एक मकान मे रहते हुए भी सभी अपने-अपने दायरों मे सिमटे हुए है। पिता-पुत्र के बीच संवाद नही, भाई-भाई के बीच बोलचाल नही, सास-बहु मे कटुता है, देवरानी-जेठानी मे अनबन है। घर घर मे कलह की भट्टियां सुलग रही है। मुनिश्री ने इस के निराकरण मे फरमाया - ' परिवार मे ना हो तकरार ' के लिए जरूरी है सामंजस्य का भाव प्रतिपल बना रहे। क्यो कि शांति चाहिये तो दुसरा कोई विकल्प नही है। सबकी अलग-अलग रुचियां होती है। उसमे सामंजस्य बना रहे तो खुशहाली रह सकती है। सम्मान की भावना रहनी चाहिये। बडों के प्रति सम्मान बना रहे। माता-पिता का कितना उपकार होता है। उन्हे पूरा सम्मान मिलना चाहिए। एकता और प्रेम परिवार की बहुत बडी ताकत होती है। मुनिश्री ने पारिवारिक संबन्धों मे सौहार्दता पर विस्तार से बताया। मुनिश्री काव्यकुमार ने कहा - पारिवारिक शांति के लिए हर व्यक्ति को सहनशील बनना जरुरी है। एक दुसरे को सहन करने से ही परिवार मे तकरार की संभावना नही रहेगी और स्वर्ग सा सुंदर घर- परिवार बन जायेगा। मंगलाचरण से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। मंगलपाठ के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।