भक्तामर श्रद्धा व भक्ति का उत्कृष्ट रसायन है

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बालोतरा।

भक्तामर श्रद्धा व भक्ति का उत्कृष्ट रसायन है

साध्वी अणिमाश्रीजी के सान्निध्य में तेरापंथी सभा, बालोतरा के तत्वावधान में सजोडे दिव्य भक्तामर स्तोत्र अनुष्ठान का मन्त्र एवं गरिमामय कार्यक्रम आयोजित हुआ। राजेश बाफना ने बताया दीपावली महापर्व के शुभ दिन जहां दो महापुरुषों से जुड़ा हुआ दिन है। भगवान श्री महावीर एवं भगवान श्रीराम के नाम का स्मरण किया जाता है भगवान महावीर स्वामी को आज के दिन मोक्ष प्राप्त हुआ ओर भगवान श्री राम 14वर्ष वनवास पूर्ण कर अयोध्या पधारे थे। इस शुभ दिन को साध्वीश्री द्वारा आध्यात्मिक मंत्रों उच्चारण करवाया गया इसमें भाई बहनों के जोड़े को स्वस्तिक के आकार में बैठाया गया। बैठे जोड़े सबके लिए आकर्षण का केन्द्र बिन्दु बन गए। साध्वीश्री जी ने विशेष ऊर्जा के साथ ऋद्धिमंत्रों एवं मंत्रों के साथ प्रभावोत्पादक अनुष्ठान करवाया। सभी अनुष्ठानकर्ताओं ने अनुपम ऊर्जा की अनुभूति की। साध्वी अणिमाश्रीजी ने अपने प्रेरणादायी उद्‌बोधन में कहा - भक्तामर स्तोत्र आचार्य मानतुंग की वो रचना है जिसकी रचना उन्होंने काल कोठरी में बैठकर की। भगवान आदिनाथ के प्रति उनकी श्रद्धा एवं भक्ति से चमत्कार घटित हुआ और वो काल कोठरी के अड़तालीस तालों से बाहर निकलकर आ गए। साध्वी श्री ने कहा- यह स्तोत्र श्रद्धा व भक्ति का वह उत्कृष्ट रसायन है, जिसके संगान मात्र से शरीर के रोम-रोम में नई स्फूर्ति का संचरण होता है। भक्तामर स्तोत्र ऊर्जा का अक्षय स्रोत है, इसकी साधना करने वाला कण-कण में ऊर्जा की अनुभूति करता है। यह कल्पवृक्ष के तुल्य है, जो इसकी साधना करने वाले साधकों की कामनाओं एवं मनोरथों को पूर्ण कर सकता है। भगवान आदिनाथ की यह स्तुति विघ्नविनाशक, मंगलकारक एवं आनंदप्रदायी है। भक्तामर अनुष्ठान के द्वारा प्राण ऊर्जा एवं वातावरण में सचेतनता का जागरण होता है। हमारे जीवन में भी अनेक समस्याओं के ताले लगे हुए है। उन सारे तालों की चाबी है भक्तामर स्तोत्र । हर भाई बहन को यह स्तोत्र प्रतिदिन करना चाहिए, जीवन में खुशहाली आ सकती है। साध्वीश्री ने कहा-तेरापंथी सभा ने बहुत कम समय में सुन्दर व्यवस्था कर कार्यक्रम को भव्यता प्रदान की है। साध्वी कर्णिका श्रीजी एवं डॉ साध्वी सुधाप्रभाजी ने मंगल संगान किया। सभाध्यक्ष महेन्द्र वेद‌मुथा ने पूरी परिषद की ओर से साध्वीश्री जी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की।