'जय जश कर्ता- विघ्नहर्ता': एक प्रेरणादायी संगीतमय नाटकीय प्रस्तुति

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गांधीनगर, बैंगलोर।

'जय जश कर्ता- विघ्नहर्ता': एक प्रेरणादायी संगीतमय नाटकीय प्रस्तुति

चतुर्थ आचार्य श्रीमज्जयाचार्य के प्रेरणादायी जीवन पर आधारित भावपूर्ण नाट्य प्रस्तुति 'जय जश कर्ता- विघ्नहर्ता' का आयोजन समण संस्कृति संकाय (जैन विद्या) के ज्ञानार्थियों द्वारा, डॉ. मुनि पुलकित कुमारजी ठाणा–२ के पावन सान्निध्य में किया गया। मंचन में आचार्यश्री के शैशव काल, मुनि जीवन, युवाचार्य काल और आचार्य पद के प्रेरक प्रसंगों को सजीव रूप में प्रस्तुत किया गया। उनके योगप्रेम, अनासक्त भाव, संघ विकास में योगदान तथा आध्यात्मिक संघर्षों को भावनात्मक ढंग से दर्शाया गया। मुख्य पात्रों — चिरायु मुथा, आदित्य पितलिया, हर्षित गुगलिया, आदित्य सेठिया, यश भंडारी, जितेंद्र कोठारी, एकता सिसोदिया, आदि — के अभिनय ने प्रस्तुति को जीवंत बनाया। इस प्रस्तुति में मुख्य गायक ऋषि दुगड़ की मधुर आवाज़ और वाचक यश सेठिया के प्रभावशाली कथन ने मंचन को और गहराई दी।
पद्य संगीत रचना में विनोद कोठारी का विशेष योगदान रहा। कार्यक्रम से पूर्व नन्हे बालकों द्वारा प्रस्तुत मनमोहक आराधना और आचार्य भिक्षु के दृष्टांत पर नाटक ने दर्शकों के हृदय जीत लिए, जिसकी सफलता में प्रशिक्षिका सपना सोलंकी और अनिता नाहर का विशेष योगदान रहा। मुख्य प्रशिक्षक हेमंत छाजेड़, प्रशिक्षिका प्रभा सेठिया, मेना बांठिया, संगीता चिंडालिया, समता गिडिया, संगीता सिसोदिया तथा कार्यकर्ता हिमांशु चिंडालिया, अरविंद पोखरणा और पूजा सकलेचा के सहयोग से यह आयोजन सफल रहा। कार्यक्रम में सभा अध्यक्ष पारसमल भंसाली, मंत्री विनोद छाजेड़, समण संस्कृति संकाय दक्षिण कर्नाटक के आंचलिक संयोजिका पिंकी टेबा, जैन विद्या (गांधीनगर) के केंद्रीय व्यवस्थापक कमलेश पितलिया, जैन विद्या के स्थानीय संयोजक जुगराज श्रीश्रीमल, स्थानीय सह-संयोजक गौतम डोसी, तथा कार्यक्रम के प्रायोजक मदन कैलाश बोराणा और अरविंद प्रकाश बाफना सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित थे। सभी ने बच्चों का उत्साहवर्धन किया, उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन की सराहना की, और पूरे वातावरण को प्रेरणादायी बनाया। कार्यक्रम के अंत में संतों ने इसे ऐतिहासिक प्रस्तुति कहकर ज्ञानार्थियों की सराहना की एवं आशीर्वाद प्रदान किया।