तपस्या कर्म निर्जरा का महत्वपूर्ण साधन

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गंगाशहर।

तपस्या कर्म निर्जरा का महत्वपूर्ण साधन

गोलछा परिवार में 'उग्रविहारी तपोमूर्ति' मुनि कमलकुमार जी स्वामी ने तपस्वी बहिन कनक गोलछा के तप अनुमोदना का कार्यक्रम बड़े ही उल्लासमय वातावरण में आयोजित किया गया। मुनि कमल कुमार जी स्वामी ने बहिन कनक गोलछा के मासखमण तपस्या की अनुमोदना में उनके निवास स्थान पर जाकर प्रवचन का लाभ प्रदान करवाया। इस अवसर पर मुनिश्री ने अपने विचार प्रकट करते हुए फरमाया की तपस्या कर्म निर्जरा का शक्तिशाली साधन है और वह निर्जरा वर्तमान और भविष्य के जीवन में भी बदलाव लायेगी। तपस्या आत्म शुद्धि के लिए करनी चाहिये जिससे स्वास्थ्य, विचार, और व्यवहार, परिवार कारोबार आदि सब में नवीनता के दर्शन हो। जैन दर्शन में मोक्ष मार्ग के चार सरल रास्ते बताये गये है उनमें ज्ञान -दर्शन- चारित्र और तप है। तपस्या उच्च मनोबल के बिना संभव नही है। भगवान महावीर ने तप साधना व ध्यान साधना से ही अपनी आत्मा को मोक्षगामी बनाया। मुनि कमल कुमार जी ने कहा कि ध्यान मानसिक तप है, अनुप्रेक्षा बाह्य तप है तपस्या से हमारी आत्मा को पोषण मिलता है। तपस्वी बहिन कनक गोलछा ने इस 31 दिवसीय (मासखमण तप) के अलावा 2 वर्षीतप एवं एक से पन्द्रह तक की तपस्या की लड़ी की हुई है। कनक देवी गोलछा उपासक तथा ज्ञानशाला गंगाशहर की प्रशिक्षिका भी है। मासखमण तपस्वी बहिन कनक देवी गोलछा के लिए साध्वीप्रमुखा जी का संदेश प्राप्त हुआ उसका वाचन सभा के उपाध्यक्ष पवन छाजेड ने किया।