थांरो अति उपकार
शासनश्री मुनि विजय कुमार
साध्वी प्रमुखाश्री! थांरी महिमा रो नहीं पार,
भूल्यों नहीं जावै, थांरो अति उपकार॥ स्थायीपद॥
झलक रही है माँ की ममता, शब्दां में न समावै क्षमता,
बरसै अमृत धार॥1॥
गजब लेखनी, भाषण शैली, तीन भुवन में शोभा फैली,
जीवन सदा बहार॥2॥
वृद्धावस्था में तरुणाई, महर सदा गुरुवां री पाई,
सद्गुण पारावार॥3॥
गुरु री अमर अहिंसा यात्रा, कष्टां री भी रही न मात्रा,
मानी कदै नहीं हार॥4॥
चयन दिवस ओ संघ मनावै, जन-जन अपणो भाग्य सरावै,
सद्गुरु रो आभार,
पग-पग जय जयकार॥5॥
लय : सिरीयारे वाले करो नीं करो नीं बेडा पार