अर्हम्
साध्वी प्रतीकप्रभा
भैक्षव शासन नंदन वन में, त्योहार मनाएँ हो।
अमृत मोच्छव प्रमुखा पद का, अमृत रस बरसाए हो।
जन-जन हरसाए हो॥आ0॥
गुरु महाश्रमण कृपा कराई, स्वर्णिम दिन बगसाया।
चंद्रकात मणि चंदेरी में, कनकप्रभा फैलाए हो॥
हो ममतामयी माँ तुम, नारी जाति की शान हो।
तेरे उपकारों की क्या? महिमा बतलाए हो॥
गुरु भक्ति, संघ भक्ति से, सुर नर नत मस्तक है।
गुरु तुलसी की कृति मनोहर, गण गौरव बढ़ाएँ हो॥
विरल विलक्षण वत्सलता, मधुरी वाणी मन मोहे।
असाधारण साध्वीप्रमुखा, नव इतिहास रचाए हो॥
चयन दिवस की स्वर्ण जयंति, चिहुं ओर खुशियाँ हैं।
कोड़ दिवाली राज करो तुम, आरोग्य बोहि लाभ वरो तुम।
हम सबकी दुआएँ हो॥
लय : प्रभु पार्श्व देव---