आचार्य भारमलजी के 200वीं निर्वाण शताब्दी पर कार्यक्रम
हिरियूर
तेरापंथ सभा के तत्त्वावधान में साध्वी प्रमिलाकुमारी जी के सान्निध्य में आचार्य भारमलजी के 200वीं निर्वाण शताब्दी के उपलक्ष्य में तथा साध्वी प्रमिलाकुमारी आदि साध्वियों के हिरियूर पधारने के उपलक्ष्य में कार्यक्रम का आयोजन हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत साध्वीश्री द्वारा मंत्रोच्चारण से हुआ। सर्वप्रथम चिरायु चौपड़ा ने मंगलाचरण किया। तत्पश्चात हिरियूर तेरापंथ सभा के अध्यक्ष दीपचंद चौपड़ा, उत्तर कर्नाटक प्रांत के अध्यक्ष जयंतीलाल चौपड़ा, उत्तर कर्नाटक प्रांत के मंत्री पुष्पराज बाफणा और तेरापंथ महिला मंडल, हिरियूर की मंत्री लक्ष्मीदेवी ने साध्वीश्री जी एवं सभी आगंतुकों का स्वागत करते हुए आचार्य भारमलजी के प्र्रति अपने-अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। इस अवसर पर विजयनगर तेरापंथ सभा के अध्यक्ष राजेश चावत, वरिष्ठ उपाध्यक्ष राकेश दुधोड़िया एवं विजयनगर महिला मंडल की मंत्री सुमित्रा बरड़िया ने भी आचार्य भारमल जी का गुणानुवाद किया। विजयनगर से आए सभी श्रावक- श्राविकाओं ने मिलकर गीत के माध्यम से साध्वीश्री को उनकी आगे की यात्रा के लिए मंगलभावना व्यक्त की। साध्वी आस्थाश्री जी एवं साध्वी विज्ञप्रभाजी ने भी इस अवसर पर ‘इतिहास के आलोक में समर्पण की झाँकी’ कार्यक्रम के माध्यम से आचार्य भारमलजी के जीवन के विविध घटना प्रसंगों को उजागर किया। साध्वी प्रमिलाकुमारी जी ने कहा कि महान पुरुषों की जन्म व निर्माण शताब्दी इसलिए मनाई जाती है क्योंकि वे हमारे आदर्श हैं, उनके जीवन चरित्र को सुनने व पढ़ने से पुरानी संस्कृति की जानकारी होती है। संस्कार उजागर हो जाते हैं। साध्वीश्री जी ने प्रसंगों के द्वारा उनके चारित्रिक विशेषताओं का चित्रण किया और बताया कि आचार्य भारमलजी अपने गुरु के परम भक्त व धर्मशासन के लिए कुशल अनुशास्ता थे। आज का दिन उस महान व्यक्तित्व के गुणगान का एवं उनके गुणों को स्वयं के जीवन में उतारकर, जीवन को महकाने का दिन है। कार्यक्रम का संचालन देवराज चौपड़ा द्वारा किया गया।