जय बोलो शासनमाता की
जय बोलो शासनमाता की
साध्वी गुप्तिप्रभा
जय बोलो शासनमाता की।
जगदम्बे श्रमणी गण त्राता की।। जय---।।
चंदेरी चाँदनी की अनुपम।
शमदम खमकी मूरत अनुपम।
शासन माँ वात्सल्य प्रदाता की।।1।।
वैराग्यामृत से सराबोर।
समता से भीगा पोर पोर।
नव उन्मेषों के संधाता की।।2।।
विनय समर्पण था अद्भुत।
सृजनशीलता में अग्रदूत।
आचार्यत्रय को शुभ साता दी।।3।।
राजधानी की कमनीय कला।
राजधानी में ही स्वप्न कला।
श्रद्धार्पित है पवित्रात्माजी।।4।।
लय: जय बोलो महावीर स्वामी की...