आत्मप्रज्ञा की धनी शासनमाता के महाप्रयाण पर
आत्मप्रज्ञा की धनी शासनमाता के महाप्रयाण पर
साध्वी डॉ0 अक्षयप्रभा
तेरापंथ शासन की एक विरल विभूति है कनकप्रभा।
प्रभा में निहित है संयम सेवा सृजनशीलता की आभा।।
उच्च संस्कार महान जीवनमूल्यों से युक्त व्यक्तित्व है आपका।
आपके जीवन में अद्भुत समन्वय है त्याग तेजस्विता तितिक्षा का।।
पवित्रता अप्रमत्तता विनम्रता से संघ में पाया ऊँचा स्थान।
सत्य-चरित्र-सिद्धांत निष्ठा से गण में मिला सर्वोच्च सम्मान।।
अनुशासन व प्रबंधन पटुता से भिक्षु उपवन में खोले नए आयाम।
ओजस्वी संपादन कला से साहित्य जगत में नाम हुआ सुनाम।।
आपकी कर्तृत्व नेतृत्व शक्ति से निखरा साध्वी समाज का ओज।
तेरी संन्यास रश्मि से प्रगटा सघन तिमिर में महा तेज।।
श्रमशीलता ग्रहणशीलता कार्यशीलता की तुम हो नव्य मिशाल।
श्रद्धा समर्पण स्वाध्यायशीलता से चमका है तव भव्य भाल।।
महाभाग्यशाली महाश्रमणीजी गुरुमुख से पाया शासनमाता का स्थान।
असाधारण तेरी काव्यकला को काव्य जगत में मिला वर्मादेवी सा मान।।
असाध्य रूप में भी आत्मा शरीर भिन्नता का मंत्र अपनाया।
‘न मे चिरं दुक्खमिणं भविस्सई’ शास्त्रवाणी का लेकर साया।।
17 मार्च, 2022 ने अनहोनी कर नम कर दी सबकी आँखें।
जिनशासन की पंडित मरणकला शाश्वत सुख है भाखे।।