संघ की महिमा गाएँ हम
संघ की महिमा गाएँ हम।
सति हुलासां चरणों में श्रद्धा शीष झुकाएँ हम।।
गंगाणै में जन्म लिया भुगड़ी कुल को चमकाया,
गुरु तुलसी के करकमलों से संयम का वर पाया,
आध्यात्मिक मंगल भावों की भेंट चढ़ाएँ हम।।
तीन-तीन गुरुओं की कृपा मिली थी सदा सवाई,
दीर्घ तपस्विनी सति अवचां की सेवा करी मनचाही,
मर्यादा आज निष्ठा की बलिहारी जाएँ हम।।
बारह वर्षों की लघु वय में दीक्षा को स्वीकारा,
अट्ठानवें वर्षों का संयम जीवन प्यारा-प्यारा,
बुद्ध पूर्णिमा के दिन हमको छोड़ पधारे तुम।।
गुरु महाश्रमण बरतारे में निज नैया पार लगाई,
अंतिम क्षण तक समता की थी बंसी मधुर बजाई,
आपके उपकारों को कभी भी भूल न पाएँ हम।।