तेरापंथ धर्मसंघ में साध्वी विश्रुतविभा जी की साध्वीप्रमुखा के महनीय पद पर नियुक्ति धर्मसंघ को आचार्यप्रवर द्वारा एक अनुपम उपहार

तेरापंथ धर्मसंघ में साध्वी विश्रुतविभा जी की साध्वीप्रमुखा के महनीय पद पर नियुक्ति धर्मसंघ को आचार्यप्रवर द्वारा एक अनुपम उपहार

तेरापंथ धर्मसंघ में साध्वी विश्रुतविभा जी की साध्वीप्रमुखा के महनीय पद पर नियुक्ति धर्मसंघ को आचार्यप्रवर द्वारा एक अनुपम उपहार

(संयोजक, बहुश्रुत परिषद)

युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण जी ने अपने 49वे दीक्षा दिवस के उपलक्ष्य में साध्वीप्रमुखा मनोनयन दिवस घोषित कर मुख्य नियोजिका साध्वी विश्रुतविभाजी को तेरापंथ धर्मसंघ की नवीं साध्वीप्रमुखा घोषित कर संपूर्ण तेरापंथ समाज को एक नया अनुपम उपहार भेंट किया है, ऐसा लगता है। साध्वीप्रमुखा के रूप में आप पर बहुत बड़ा दायित्व है 550-600 से अधिक साध्वियों एवं समणियों की सारणा-वारणा एवं सम्यग् विकास का। यह संघ का सौभाग्य है कि साध्वीप्रमुखा के रूप में उसे एक ऐसी साध्वीवरा उपलब्ध हुई है, जिसका व्यक्तित्व न केवल वैदुष्य एवं अध्ययनशीलता जैसे आदर्श मानदंडों से परिपूर्ण है, अपितु जिनकी प्रकृति में श्रमशीलता, कर्तव्यनिष्ठा, सेवाभावना, गुरु के प्रति समर्पणभाव की उत्कटता एवं मेधा की विलक्षणता का मणिका×चनयोग परिलक्षित होता है। आचार्य तुलसी, आचार्य महाप्रज्ञ एवं आचार्य महाश्रमण-तीन-तीन आचार्यों की कड़ी कसौटियों पर उत्तीर्ण होकर आपने न केवल अनुभव प्रौढ़ता को अर्जित किया है अपितु अपनी कार्यशैली की प्रभविष्णुता द्वारा निष्पत्तिमूलक सफलताओं को भी अर्जित किया है।
अंग्रेजी भाषा के विकास के पथ पर द्रुत गति से चढ़कर न केवल अनुवाद-कला में निपुणता को निखारा है, अपितु वक्तृत्व एवं लेखन में समकालीन धारा से सुसंगत भाषाशैली के मुक्त प्रयोग द्वारा आधुनिक जनमानस को झंकृत किया है। पोप पाल जैसे वैश्विक व्यक्तित्व के साथ समणी स्मितप्रज्ञा जी के रूप में गुरु-संदेश को प्रभावशाली रूप में सन् 1987 में वेटिकनसिटी में प्रस्तुत कर आपने अपनी संवाद-निपुणता को प्रमाणित कर दिया था।
मुख्य नियोजिकाजी के रूप में आपने एक ओर तत्कालीन साध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभाजी के कार्य में पूरा हाथ बंटाया एवं उनकी कृपादृष्टि प्राप्त की, तो दूसरी ओर समणी-वर्ग की शिक्षा, व्यवस्था आदि का सम्यग् नियोजन कर समस्त समणी-वर्ग को विकास के पथ पर अग्रसर कर अपने दोहरे कर्तृत्व को बखूबी निभाया। आचार्यप्रवर के मन में अपने प्रति विश्वास को आपने इतना पुष्ट कर दिया कि आपकी योग्यता के आधार पर आप इस महनीय पद को प्राप्त करने में सफल हुई है। आशा है आपके नेतृत्व में साध्वीसेना अध्यात्म, कला, साहित्य, संघ-प्रभावना, गुरुदृष्टि-आराधना एवं ज्ञान-दर्शन-चारित्र-आराधना के विभिन्न आयामों में विकास के अभिनव-अभिनव कीर्तिमानों का सृजन कर द्रुतगति से कूच करती हुई तेरापंथ धर्मसंघ की आन, बान एवं शान में चार चाँद लगाती जाएगी तथा भैक्षव-गण की सुषमा-सौरभ से दिग्-दिगंत को सुरभित करती रहेगी।