नवनिर्वाचित साध्वीप्रमुखाश्री के प्रति
न - नवनिर्वाचित श्रमणीप्रमुखा!
सान्निध्य तेरा पाए अभिनव।
सप्तम, अष्टम, नवम प्रमुखा,
चंदेरी की हो गौरव!!
व - वंदन, वर्धापन अभिनंदन
करते सूरज, चाँद सितारे!
गणगणतागण में मुखरित है,
श्रमणीप्रमुखा आप हमारे!!
म - मनस् हमारा हर्षित पुलकित,
प्रमुदित दशों दिशाएँ हैं।
हरा भरा है चमन हमारा।
सुरभित सुमन सजाएँ हैं।
श्र - श्रमणीगण शृंगार!
अर्पण भाव की वर्धापना!
भिक्षु शासन कर रहा है,
आज तब अभिवंदना!!
म - ममताभरी वो छाँव फिर से,
हम सभी को मिल गई है।
चमन का हर पुष्प कलियाँ
आज फिर से खिल गई है।
णी - नींव हो गणमहल की
सिंचन किया है साधना से
आशीष दो जीवन संवारे
गुरुदृष्टि की आराधना से!!
प्र - प्रणाम प्रज्ञापुंज को
विश्रुतविभा दी संघ को!
नाज है सरताज तुमने,
निश्चिंत किया साध्वी संघ को!!
मु - मुक्तकंठों से तेरे गुणगान
शासन कर रहा
अभ्यर्थना में विराग
सुस्वर मुखर भी हो रहा!!
खा - खामोश था गण सो
दिया था संघ ने उस मात को
दो माह में ही चयन कर,
गुरुराज ने दी माता को!
वि - विभा आभा प्रभा
मंडल है निराला
करे प्रेक्षाध्यान (हम) पाए
जिंदगी में नवउजाला
श्रु - श्रुत संपदा की श्रीवृद्धि
हो गण में निरंतर
रत्नत्रयी की साधना कर
हम भी श्रुत से धुरंधर!!
त - तल्लीन बन जप, ध्यान
तप स्वाध्याय तुम सा हम करे बस
आशीष दी सतिराज
हम सब शांत उपयोगी बने बस
वि - विलक्षण वरदायिनी हो
शासना तेरी शुभंकर
शक्ति संप्रेषण कराओ
तुलसी युग लाए अनुत्तर!!
भा - भावना भाए निरंतर
वर्धमान हो श्रमणी समुदय
गुरु की शीतल छाँह तले
बस जीवन का हो नव अभ्युदय!!
की - कीर्तिगाथा सद्गुणों की
गाता रहा है, हर जमाना
सतिशेखरे! तुम से खिला है
आज ये नव आशियाना!!
ज - जय विजय हो हर
कदम पर स्वस्तिक रचाओ
संघ समुचा साथ में है
वैराग्य के दीये जलाओ!!
य - यशस्वी हो हो तेजस्वी,
शासना में शक्ति पाए,
महाश्रमण के अनुशासन में
चयन अमृतोत्सव मनाए!!