साध्वी निर्वाणश्रीजी के वर्ग की ओर नव निर्वाचित साध्वीप्रमुखाश्रीजी के प्रति काव्य-प्रसून
दीक्षा (युवा) दिवस पर दिया आर्य ने,
साध्वीप्रमुखा का उपहार।
भैक्षवगण में आज खुशाली
महक रहे मानस मंदार।।
साठ दिवस से रिक्त स्थान जो,
आज पूर्णता उसने पाई।
एकादशम आचार्यप्रवर ने,
नवम साध्वीप्रमुखा बक्साई।
पाकर नव सौगात प्रभु से,
नंदनवन में हर्ष अपार।।1।।
भावों के उजले दर्पण में
उभर रहे हैं बिम्ब हजार,
कितने मनहर, कितने सुंदर
मनमोहक है मोहनगार,
अभिनंदन-अभिवादन करते
चरणयुगल में बारंबार।।2।।
सतिशेखरे! करूँ समर्पित
भक्ति सुमनों का नव हार,
रहो चिरायु, करो शासना
साध्वीगण की तुम सुखकार,
मुंबई कांदिवली से प्रेषित
स्वीकारो यह भावोपहार।।
विश्रुत हो तब विभा विश्व में
अंतर मन के ये उद्गार।।