अक्षय तृतीया समारोह का आयोजन

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अक्षय तृतीया समारोह का आयोजन

गंगाशहर।
तेरापंथी सभा द्वारा आयोजित अक्षय तृतीया समारोह में शासनश्री साध्वी शशिरेखाजी ने कहा कि भगवान ऋषभ ने निरंतर तपस्या करते हुए वर्षीतप किया। वर्तमान काल को देखते हुए एकांतर उपवास कर यह तप किया जाता है। इस दिन ग्रह-नक्षत्र सब अनुकूल रहते हैं, इसलिए इसे शुभ माना जाता है। लक्ष्मी को भी चिरस्थायी रखने का एक महत्त्वपूर्ण दिन भी अक्षय तृतीया है। समारोह में सेवा केंद्र व्यवस्थापिता साध्वी कीर्तिलता जी ने कहा कि अक्षय तृतीया के साथ एक एतिहास, एक संस्कृति जुड़ी हुई है। उन्होंने जनसाधारण को असि, मसि व कृषि का ज्ञान दिया।
साध्वी सूरजप्रभाजी ने कहा कि अक्षय का अर्थ है कभी नष्ट नहीं होना। साध्वी लावण्ययशाजी ने तपस्वियों के तप की अनुमोदना करते हुए बताया कि साध्वी शुक्लप्रभाजी के 10वाँ वर्षीतप व साध्वी पूनमप्रभाजी के छठा वर्षीतप है। मुनिश्री श्रेयांस कुमार जी के भी 8वाँ वर्षीतप संपन्न हो रहा है।
समारोह का शुभारंभ मनोज छाजेड़ द्वारा प्रस्तुत मंगलाचरण से हुआ। साध्वी शुक्लप्रभाजी ने अपनी भावना गीतिका के माध्यम से प्रस्तुत की। साध्वियों द्वारा सामुहिक गीतिका का भी संगान किया गया। गंगाशहर में श्रावक-श्राविकाओं के 13 वर्षीतप हुए, जिनमें से जतनलाल दुगड़, सुंदर देवी सामसुखा, मनोहरी देवी छाजेड़ एवं कंचन देवी बोथरा ने यहाँ पारणा किया।