अर्हम्

अर्हम्

खुशियों के हम दीप जलाएँ करते शत-शत वंदन।
साध्वीप्रमुखा को पाकर गण में छाई है पुलकन-करते शत-शत वंदन।।

आर्यप्रवर की जन्मभूमि में, नव इतिहास रचाया।
अद्भुत तेरा गुरु समर्पण प्रमुखा पद को पाया।
विनय नम्रता से ही देखो, आज जुआ है अंकन।।

मंगलमय भावी जीवन हो, स्वस्तिक आज रचाएँ।
आरोग्य बोधि को प्राप्त करो, यही भावना भाएँ।
पंचाचार साधना से गण में महकाओ चंदन।।

अप्रमत्तता जीवन तेरा आज बना वरदाई।
श्रमणी परिकर में देखो, खुशियाँ अनहद है छाई।
शुभ भविष्य की करे कामना, करते हैं अभिनंदन।।

चंदेरी का कण-कण हर्षित उदित हुआ है दिनकर।
मोदी परिकर में भी देखो दीप जला है शुभंकर।
सरदारशहर की पुण्य धरा पर, महका है यह गुलशन।।