अर्हम्
चंदेरी की लाड़ली अभिवादन शतबार।
विलक्षण दीक्षा से बनी साध्वीप्रमुखा इस बार।।
महाप्रज्ञ से शिक्षित बनी संघ पहचान।
ध्यान जाप स्वाध्याय का पाया है वरदान।।
मुख्यनियोजिका से बनी साध्वीप्रमुखाजी आज।
ऐसी साध्वीप्रमुखा पा हमको बहुत-बहुत है नाज।।
विनयशीलता सहजता प्रबुद्धता है खास।
गुरुभक्ति संघभक्ति में रखती है उल्लास।।
महाश्रमण की शासना पाकर हुए निहाल।
साध्वी समाज की करो रात दिवस रिछपाल।।