साध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभाजी के प्रति
वंदन करते शत-शत बार
प्रभु का दीक्षोत्सव त्योहार, लाया गण में नई बहार।
नवीं साध्वीप्रमुखा पाकर, वंदन करते शत-शत बार।।
साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी, चमको गण में वर्ष हजार।
पुलकित प्रमुदित है हम सारे, पाकर श्रमणीगण शृंगार।
तुलसी महाप्रज्ञ के सपने, महाश्रमण कर रहे साकार।।
समय प्रबंधन देख तुम्हारा, रोम-रोम होता है हर्षित।
कर सार्थक जीवन का हर पल, कर दिया सबको रोमांचित।
फौलादी संकल्प तुम्हारा, बसा रहा नूतन संसार।।
चयन दिवस पर अर्ज है मेरी, करना हम सबकी संभाल।
रहो निरामय बाँटों अमृत, संघ समुचा है खुशहाल।
सब कुछ अर्पित तब चरणों में, भाव भरा श्रद्धा उपहार।।