सत्पुरुष के उपदेश से व्यक्ति के जीवन में बदलाव आ सकता है: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

सत्पुरुष के उपदेश से व्यक्ति के जीवन में बदलाव आ सकता है: आचार्यश्री महाश्रमण

गारबदेसर, 20 मई, 2022
चिलचिलाती धूप में अध्यात्म की शीतलता प्रदान करने वाले करुणा सागर आचार्यश्री महाश्रमण जी 12 किलोमीटर विहार कर गारबदेसर पधारे। जिनवाणी के व्याख्याता आचार्यश्री महाश्रमण जी ने प्रेरणा पाथेय प्रदान करते हुए फरमाया कि हमारे जीवन में परिस्थितियाँ आ जाती हैं। कभी मन के अनुकूल परिस्थितियाँ आ जाती हैं, तो कभी मनः प्रतिकूल परिस्थितियाँ भी आ सकती हैं। आदमी प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण कभी-कभी दुःखी बन जाता है। मन के प्रमाद से दुःख बढ़ जाते हैं। मन जब वश में रहता है, तो मन को वश में कर लेने से दुःख उसी प्रकार नष्ट हो जाते हैं, जैसे सूर्य के सामने सर्दी भाग जाती है। आदमी जब-जब राग-द्वेष में जाता है, तो वह अपने आपसे और आत्मिक सुखों से मानो दूर हो जाता है। जितना-जितना जब वह आत्मा में रहता है, राग-द्वेष में नहीं जाता है, तो वह सुख-शांति में रहता है।
समता धर्म है। शास्त्र की वाणी-समता धर्म सुखों की खान है। अपने आपमें रहना, राग-द्वेष में न जाना समता धर्म है। यह एक प्रसंग से समझाया कि मैं तो ठहरा हुआ हूँ, तुम ठहर जाओ। मैं साधना में ठहरा हुआ हूँ। सत्पुरुष के उपदेश से व्यक्ति में बदलाव आ सकता है। जो हो गया सो हो गया, अब आगे की चिंता करो। साधुओं के तो दर्शन ही पुण्य हैं। साधु तो चलते-फिरते जंगम तीर्थं हैं। साधुओं का उपदेश मिल जाए, जीवन में वो उपदेश अच्छी तरह उतर जाए तो फिर तो बेड़ा पार है। समता ऐसा दर्शन है, तत्त्व है, जिसका आसेवन करने से आदमी भीतर में स्थित हो सकता है और परम तत्त्व की प्राप्ति की दिशा में आगे बढ़ सकता है।
भारत का मानो भाग्य है कि संत लोग धरती पर मिलते हैं। लोगों में संतों के प्रति श्रद्धा-सम्मान का भाव भी देखने को मिलता है। जब-जब संतों का आना हो तो वो अच्छी बात है। संत भी कैसे? जिनको नोट नहीं चाहिए, वोट भी नहीं चाहिए, न प्लोट चाहिए बस आदमी के जीवन में खोट को छोड़ दो तो आपका जीवन अच्छा हो जाए और संत को भेंट मिल जाए। संत त्यागी हो, उनके जीवन में संयम हो वो एक अच्छी बात होती है। साधु त्यागी-वैरागी हो। संतों की संगत से कल्याण हो सकता है। यह एक प्रसंग से समझाया कि साधु की संगत से आदमी को दुःखों से छुटकारा मिल सकता है। शूली की सजा सूल से कट सकती है। निस्वार्थ त्यागी संतों की संगति बहुत लाभदायक होती है, आत्मा का कल्याण हो सकता है। उनका उपदेश जीवन में उतर जाए तो बेड़ा पार हो सकता है। ‘सत्संगत से सुख मिलता है जीवन का कण-कण खिलता है’ गीत के पद्य का सुमधुर संगान किया। गाँव में संतों का आना हुआ है, उनके उपदेश से जीवन का कल्याण हो सकता है।