युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की षष्टिपूर्ति के अवसर पर
हे महामनस्वी! महायशस्वी! महातेजस्वी!
महिमामंडित! महावर्चस्वी! महाओजस्वी!
हे शांतिदूत! हे तपःपूत! हे महातपस्वी!
हे नेमानंदन! शत शत वंदन
युगप्रधान करते अभिनंदन।।
झूमरकुल का राजदुलारा
लाखों नयनों का ध्रुवतारा
असहायों का सबल सहारा
झंकृत प्राणों के नव स्पंदन
युगप्रधान! करते अभिनंदन।।
वाणी में करुणा रस झरता
जन-जन की पीड़ा को हरता
शरणागत भव सागर तरता
चेतन बन जाता है कुंदन
युगप्रधान! करते अभिनंदन।।
दिव्य दिवाकर पुण्य प्रभाकर
गुण रत्नाकर ज्ञान सुधाकर
धन्य बने तव करुणा पाकर
कण-कण में छाए नव पुलकन
युगप्रधान! करते अभिनंदन।।