युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की षष्टिपूर्ति के अवसर पर

युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की षष्टिपूर्ति के अवसर पर

महामहिम श्री महाश्रमण की मूरत मंगलदायी है।
योगीश्वर श्री ज्योतिचरण की चरण-शरण सुखदायी है।।

तेजस्वी संन्यास देव का सदा विजय वरते प्रभुवर,
ओजस्वी वाणी कल्याणी दुख-दुविधा हरते विभुवर,
वर्चस्वी प्रभु महाप्रतापी कृपादृष्टि करते सब पर,
महायशस्वी जिनशासन, भैक्षवशासन-शेखर गुरुवर,
षष्टिपूर्ति जन्म-धरती पर जन्म जयन्ती आई है।

विश्व-विश्वमैत्री-संगायक विघ्न विनायक महाश्रमण,
युगप्रधान गुरु भाग्य विधायक शांतिप्रदायक महाश्रमण,
आगम अनुसंधायक, व्याख्यापक सुखदायक महाश्रमण,
हे युगनायक युग निर्मायक जग-उन्नायक महाश्रमण,
ज्योतिपुंज श्री संत शिरोमणि सद्गुरु त्रिभुवन त्रायी है।।

‘जय जय नन्दा जय जय भद्दा’ मंगलध्वनि से वर्धापन,
विश्व बन्धु हो, कृपा सिन्धु हो गुरु चरणों अर्पित जीवन,
मानवता के महामसीहा धरती का मेटो क्रन्दन,
यूक्रेन रूस सभी देशों को अमन चैन का दो चिंतन,
सतत साधना से बन पाए वाणी कर वरदायी है।