युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की षष्टिपूर्ति के अवसर पर
युग के व्याप्त तिमिर को हरने
महाश्रमण धरती पर आया।।
जब-जब होता हृास धर्म का,
इस भारत की पुण्य धरा पर,
तब-तब कोई महापुरुष भी,
उतरा है इस वसुंधरा पर,
शांति का संदेश शुभंकर,
पद यात्रा कर उसे सुनाया।
महाश्रमण इस धरती पर आया।।
हरने मानव मन की पीड़ा
महावीर तुम बनकर आए,
जन-जन के दुर्गुण विष पीकर
शिव शंकर भी तुम कहलाए,
लाखों का संताप मिटाते
कल्पवृक्ष सी तेरी छाया
महाश्रमण धरती पर आया।।
कोरोना के दुष्प्रभाव ने
जन-जन को आक्रान्त किया
शांतिदूत ने शांतिमंत्र दे
भयाक्रान्त को शांत किया
आध्यात्मिक संपोषण पाकर
मुरझा दिल फिर से मुस्काया।।
महाश्रमण इस धरती पर आया।।