युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की षष्टिपूर्ति के अवसर पर
युगप्रधान अभिषेक दिवस पर प्रज्ञा दीप जलाएं।
अभिनंदन करते हम सारे प्रमुदित मन हरषाएं।।
अमृत का दरिया लहराता प्रभु के नयन युगल में,
पौरुष की गुंजित गाथाएं तेरे हस्तयुगल में,
अमृत रहे अनुशासन मंगल नंदन वन सरसाए।।
भक्ति से स्पन्दित प्राणों का कतरा-कतरा महके,
ज्ञान नेत्र का उन्मीलन हो चरण चेतना चहके,
भावों में मैत्री प्रमोद की फसलें सदा उगाएं।।
श्रेयस्कर अभिनव पथ पर प्रभु सौ-सौ सूर्य उगाएं
प्रायोगिक हो जीवन सारा स्वस्तिक नव्य ऋचाएं
नवयुग का निर्माण करें हम नचिकेता बन जाएं।