युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की षष्टिपूर्ति के अवसर पर

युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की षष्टिपूर्ति के अवसर पर

जन्मभूमि में युगप्रधान का उत्सव लाया नई बहार।
षष्टिपूर्ति पर करें कामना प्रभुवर! जीओ वर्ष हजार।।

युग की जटिल समस्याओं ने, समाधान तुमसे पाया,
हर संतप्त मनुज को शीतल, सिंचन देकर सरसाया।
जन-जीवन बगिया महकाई, खोले नव्य सिद्धि के द्वार।।

अनगिन कीर्तिमान रचने वाले से क्या कोई अनजान,
हर संतप्त मनुज को शीतल, सिंच चरण रहें गतिमान।
वसुधा नतमस्तक चरणों में, उसे मिला अनुपम उपहार।।

धरती के भगवान मानकर जब लोगों ने पीर सुनाई,
शांतिदूत बन करके प्रभु ने शांत सुधारस धार बहाई।
तेरी सन्निधि में मन इप्सित स्वप्न हो रहे सब साकार।।