युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की षष्टिपूर्ति के अवसर पर
तेरापंथ शासन में छाई खुशियां अपरम्पार है।
युगप्रधान जय महाश्रमण की शासना गुलजार है।।
वंदे ज्योतिचरण, वंदे महाश्रमण।।
दीपित आभामंडल तेरा, बोल रही शुभ साधना
सत्यं शिवं सुन्दरं पद्य की होती है आराधना
रहो निरामय तपो धरा पर बद्धांजलि शुभकामना
युगप्रधान के अलंकरण की मंगलमय वर्धापना
नेमानंदन, शत-शत वंदन, आई स्वर्ग बहार है।
पावन पटोत्सव प्रभुवर का दो ऐसा वरदान हो
जन - उन्नायक, भाग्य-विधायक भक्तों के भगवान हो
गौरव गाथा क्या गाएं नत-मस्तक सकल जहान हो
श्रद्धा का दरिया लहराए अर्पित करते प्राण हो
जिनशासन का गुलशन महके, सौरभ खुशबुदार है।
तर्ज: आओ बच्चों तुम्हे . . .