युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की षष्टिपूर्ति के अवसर पर
हे युगप्रधान! श्रम गाथा, महातपस्वी जगत्राता,
हे जीवन के निर्माता, प्रभु मेरे भाग्य विधाता,
श्रद्धा का महकता चंदन है, चरणों में करें वन्दन है।।
मनमोहक मूरत मनहारी, वीतराग अवतारी,
नयनों से अमृत रस बरसे, शांत सौम्य सुखकारी,
जादू भरी तेरी वाणी, फैली है यश सहनाणी,
तेरे संदेशों को सुनकर, बन गई दुनिया ये दिवानी ।।1।।
नन्हें इन दो कदमों से, दुनिया मापी सारी,
गगन धरा संगीत सुनाएं, महाश्रमण जयकारी,
तुफानों से नहीं घबराएं, कष्टों में भी मुस्काएं,
तेरे पदचिन्हों पर चल, जीवन बगिया महकाएं।।2।।
अमिताभ आभावलय को पा, खिल गए है भाग्य हमारे,
युगप्रधान महाश्रमण सुगुरु, मिल गए हैं पालनहारे,
तुम से अद्भुत महायोगी, निस्पृह साधक महात्यागी,
तेरी रहमत को पाकर, बन गए हम सौभागी।।3।।
लय: सूरज कब दूर गगन से---