स्वागत त्याग का होता है, भोग का नही
रामपुर पटनागढ़।
मुनि प्रशांत कुमार जी ने कहा कि आप सभी ने संतों का स्वागत किया। संत आते हैं तो सहज ही सभी के मन में खुशी होती है। ऐसा लगता है कि संत आए हैं तो बसंत आया है। आध्यात्मिक वातावरण बनता है, उत्साह बनता है। संतों का स्वागत करना हमारी संस्कृति भारत की परंपरा रही है। स्वागत त्याग का होता है, भोग का नहीं। त्याग का महत्त्व हमेशा रहा है। त्याग हमेशा से आदरणीय, सम्माननीय रहा है।
रामपुर गाँव के नाम के साथ राम का नाम जुड़ा है, तो अपने भीतर के राम को जगाएँ, जिससे हमारी आध्यात्मिक शक्ति जागृत होगी। तनवी जैन ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थी ने प्रस्तुति दी। सिवानी जैन एवं बिंदिया अग्रवाल ने गीत प्रस्तुत किया। सभा के मंत्री गोविंद जैन ने स्वागत वक्तव्य दिया। कार्यक्रम का संचालन कुणाल जैन ने किया।