युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की षष्टिपूर्ति के अवसर पर
जन-जन की आस्था के धाम, महाश्रमण को करें प्रणाम।
तुम रहीम हो तुम ही राम, तेरापंथ के तिलक ललाम।।
महाश्रमण को करें प्रणाम।।
मन्द-मन्द मुस्कान वदन की, जन-मन की पीड़ा हर लेती
कल्पवृक्ष सम सन्निधि सुखमय, मन वांछित पूरा कर देती
अनिमेष निहारे प्रभुवर तेरी पावन मुख मुद्रा अभिराम
महाअमण को करें प्रणाम।।
गति प्रतिष्ठा त्राण शरण तुम, असहायों के सबल सहारे
करुणा के निर्मल निर्झर तुम, लाखों लोगों के रखवारे
निश्छल, निस्पृह, निर्माेही हो निपुण निरूपम अरु निष्काम
महाश्रमण को करें प्रणाम।।
युगप्रधान उत्सव अलबेला, गणमन्दिर में आज दिवाली
जन्मधरा का भाग्य समुन्नत, उदित हुई है भोर रूपाली
युगों-युगों तक अमर रहेगा गुरुवर महाश्रमण का नाम
महाश्रमण को करें प्रणाम।।