युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की षष्टिपूर्ति के अवसर पर
तेजस्वी तेरा मुखमंडल सम शम श्रम का संगम है।
आगमवाणी सहचर तेरी जीवन का व्रत उपशम है।।
युगप्रधान का अलंकरण यह शासन माता का उपहार।
मानवता के मंगल हो, तुम तेरापंथ शासन-श्रृंगार।।
ओ मेरे भगवान! तुम्हारा अंतर्मन से ध्यान धरूं।
श्रद्धा भक्ति भरे भावों से नित उठ मैं गुणगान करूं।।
दशों दिशाओं में गुंजित महाश्रमण शुभ नाम।
बद्धांजलि हो दुनिया करती सविनय कोटि-कोटि प्रणाम।।