युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की षष्टिपूर्ति के अवसर पर

युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की षष्टिपूर्ति के अवसर पर

क्या उपमा दे पाऊं तुमको, तुम अथाह करुणा के सागर।
युगप्रधान युगनायक गुरुवर, हम सौभागी तुमको पाकर।।

धीर वीर तुम इन्द्रिय जेता, भैक्षवगण के सक्षम नेता।
प्यासे मन की प्यास बुझाते, शरण तुम्हारी जो भी लेता।
उदितोदित तप तेज निराला, तुम हो भारत भू के भास्कर।।

युगप्रधान का उत्सव पावन, जन-जन में है खुशियां छाई।
गुरु सन्निधि का योग शुभंकर, मानस की कलियां विकसाई।
यादों में नित अमिट रहेगा, ऐसा दुर्लभ स्वर्णिम अवसर।।

महाश्रमण में सदा निहारे, तुलसी महाप्रज्ञ का दीदार।
हर मन भक्त बना चरणों का, भैक्षव शासन का श्रृंगार।
तेरी गुण गाथा गाने को उत्सुक रहती हूं निशि वासर।।

पदाभिषेक अखिलेश तुम्हारा, खुले हाथ बांटो वरदान।
भावों की ले कल्पमाला, करने आई तव गुणगान।
रहो चिरायु करूं कामना, ओ मेरे प्राणों के पॉवर।।