युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की षष्टिपूर्ति के अवसर पर

युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की षष्टिपूर्ति के अवसर पर

गण में छाई है खुशहाली,
युगप्रधान-अभिवंदन करके हर्षित है हर रुं-रुंवाली।।

सरदारशहर में जन्में दीक्षा भी सरदारहाहर में पाई,
तिलक भूमि बनने का स्वर्णिम मौका मिला इसे वरदाई,
सचमुच ही सरदारशहर की धरती है यह किस्मतवाली।।

देश- विदशों की यात्रा कर नैतिकता का बिगुल बजाया,
मानवता के महामसीहा बनकर जग की पीड़ा को सहलाया,
युगों-युगों तक युग गाएगा गाथा तेरी गौरवशाली।।

साधिक दो युगों का शासन, रची संघ में नई ऋचाएं,
आभारी शासनमाता के, युगप्रधान आचारज पाएं,
तेरी कुशलशासना में हम मंजिल प्राप्त करें मनहारी,
दो ऐसा आशीर्वर हमको बन जाए अविचल अविकारी।।