युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की षष्टिपूर्ति के अवसर पर

युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की षष्टिपूर्ति के अवसर पर

भैक्षवशासन नन्दन उपवन सकल विश्व में सबसे न्यारा
महाश्रमण अनुपम अनुशास्ता नेमानन्दन नयन सितारा।।

महासूर्य आलोक रश्मियां अखिल विश्व में बांट रहा है
पावन प्रवचन संजीवन सा आधि-व्याधि मिटा रहा है
चरण युगल में सविनय नत है अवनि अम्बर का कण-कण
देश विदेशों की धरती पर गूंजे महाश्रमण जयकारा।।

श्रम बूंदो से सिंचन देकर गण बगिया को सरसाया
उपशान्त कषाय की प्रखर साधना जीवन को सरसब्ज बनाया
सागर सम गंभीर धीर प्रभो! समता रस का पान कराते
दिव्य शक्तियां करे अर्चना तुम ही जग का सबल सहारा।।

हे युगप्रधान तव अवदानों से भिक्षु गण भण्डार भरा है
शासन माता, मुख्यमुनि अरु साध्वीवर्या पद निखरा है
दर्शन ज्ञान चरण ज्योति से पग-पग जीवन में उजियारा
षष्ठीपूर्ति अवसर पर गूंजे जय-जय ज्योतिचरण का नारा।।