युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की षष्टिपूर्ति के अवसर पर

युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की षष्टिपूर्ति के अवसर पर

कीर्तिमान पर कीर्तिमान रच नव इतिहास बनाए
तुम युगप्रधान कहलाए

जैनागम संपादन बहुविध साहित्यिक रचनाएं,
नाना भाषाओं में अनूदित जन-जन के मन भाएं,
शिक्षा, शोध सृजन की सरिता में नित संघ नहाएं।।

चले अनवरत धर्मसंघ में सम्यक् ज्ञानाराधन
निष्ठापंचक से अविरल पोषित हो सम्यक् दर्शन
नई योजना ‘महाप्रज्ञ श्रुत आराधन’ की लाए।।

दीक्षाओं के कीर्तिमान को तुमने शिखर चढ़ाया
‘सुमंगल साधना’ का पथ श्रमणोपासक को दिखलाया
वार शनिश्चर सामायिक अभियान नया रंग लाए।।

‘सर्वधर्म सद्भाव’ दिशा में बोल रहा तव श्रम है,
जैन एकता के प्रसार में पहला उठा कदम है,
जन-जन के मुख महाश्रमण कीरत चर्चाएं।।

पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण जिनशासन उजियारे,
देशाटन की नई कहानी लिख दी तारणहारे,
धरती अम्बर में गूंजेगी सदियों यश गाथाएं।।