युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की षष्टिपूर्ति के अवसर पर
जन-मानस की पीड़ा हरने, इस धरती पर प्रभु तुम आए।
हे युगप्रधान! हे युगनायक! गुरुवर जन-जन तुमको आज बधाएं।।
श्री तुलसी महाप्रज्ञ शुभ दृष्टि, आरोहण के अवसर पाएं।
गुरु चरणों में सब कुछ अर्पण, खुली प्रगति की नई दिशाएं।
मोहन, मुदित से महाश्रमण बन, महातपस्वी तुम कहलाए।।
तुलसी जन्म-शताब्दी अनुपम, शत दीक्षा संकल्प साकार।
देशाटन से गण की महिमा, फैली सात समंदर पार।
पग-पग जय-जय विजय वरो वर, जहां-जहां प्रभु चरण टिकाएं।।
महावीर के प्रतिनिधि में हम, महावीर का रूप निहारे।
कामधेनु, सुरतरू, चिंतामणि, सफल करो अरमां हमारे।
कर दो ऐसा अनुग्रह हम पर, आत्मोन्नति पर कदम बढाएं।।