युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की षष्टिपूर्ति के अवसर पर

युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की षष्टिपूर्ति के अवसर पर

सूर्य की अभिनव किरणों से, करती हूं तेरा अभिनन्दन।
हे युगप्रधान! तव चरण युगल में, अर्पित है श्रद्धा का चन्दन।।

आकर्षक व्यक्तित्व तुम्हारा, कार्य कुशलता बड़ी विलक्षण
बहे विलक्षण करुणा धारा और विलक्षण है अनुशासन
सौम्य शांत दीदार विलक्षण, आकर्षित है जन-जन का मन
हे युगप्रधान! तव चरणों में, अर्पित श्रद्धा चन्दन।।

फौलादी संकल्पों के आगे, हर परिस्थिति अनुकूल बनी है
तव पुण्याई से शूलें भी, सुरभित सुन्दर फूल बनी है
हे महायायावर! तव यात्रा से खिला भिक्षु गण का यह गुलशन
हे युगप्रधान! तव चरणों में, अर्पित श्रद्धा चन्दन।।

हे युगपुरुष! युग की नब्ज को तुमने समुचित है पहचाना
दुःखित हर मानव की पीड़ा को तुमने अपना ही माना
हे युगप्रधान! युग करता है भाव भरा अभिवन्दन
हे युगप्रधान! तव चरणों में, अर्पित श्रद्धा चन्दन।।