करते हैं आपका अभिनंदन
साध्वीप्रमुखा मनभावन, शोभित है नवमासन।
आश्वस्त बना हृदयांगण, पुलिकत सारा श्रमणीगण।।
करते हैं आपका अभिनंदन।
आलोकित नभ धरा गगन।।
गुरुवर तुलसी का दिल जीता, महाप्रज्ञ शुभ साया।
नेमानंदन के इंगित को जीवन-लक्ष्य बनाया।।
शासन माता से पाया, अनुभवों का अकूत खजाना।
श्रम, सेवा और समर्पण से खिला है भाग्य-तराना।।
करते हैं आपका अभिनंदन--
मोह विलय की साधिका वैरागी जीवन सुंदर।
जप-प्रेमी, स्वाध्याय-लीन, तप में भी बढ़े निरंतर।।
व्यक्तित्व आपका निर्मल, अविरल ज्यों बहता झरना।
ऐसी साध्वीप्रमुखा का बतलाओ फिर क्या कहना।।
करते हैं आपका अभिनंदन---
करते हैं करबद्ध निवेदन, हम पर महर कराएँ।
साधना में गति बढ़े, उपक्रम कुछ आप चलाएँ।।
है अभी तो मीलों चलना, आगे से आगे बढ़ना।
तुम सदा निरामय रहना, बस इतना ही है कहना।।
करते हैं अपका अभिनंदन---
लय: सूरज कब दूर---