नव-निधि को करें प्रणाम

नव-निधि को करें प्रणाम

शुचितापूर्ण जीवन शैली, प्रज्ञा प्रखर विशद तुम्हारी।
समता, ममता, क्षमता की मूरत, गंभीरता है मनहारी।
नव-निधि को करे प्रणाम।।

पुरुषार्थ की मशाल निरंतर जले, काव्य कला निराली।
बात-बात में संबोध देते, पिलाते रहे नित अमृत प्याली।
परम पारदर्शी को करे प्रणाम।।

स्वाध्याय प्रियता, मचुखाणी का संगम देखा।
आत्मस्थ, स्वस्थ, मस्त रहे, बने जीवन का लेखा-जोखा।
पारस प्रज्ञा को करे प्रणाम।।

अमल-धवलकांतिमय प्रमुखाश्री जी शासन प्रांगण में।
सुधाकर सी शुभ्र चाँदनी, प्रसरी है गण नंदनवन में।
ओजस्वी अर्हता को करे प्रणाम।।

शक्ति-भक्ति का दो वरदान, कर दो चेतन उद्योत।
चयन दिवस की मंगल बेला आनंद उमंग का प्रद्योत।
वचन वर्चस्विता को करे प्रणाम।।

हर डगर हर मंजिल करती है तुझे सलाम।
हर सफल हर राहें करती हैं तुझे प्रणाम।
शुभकामना है शुभ भावना है निरामय निरंजन।
पुनीत होकर दिन हर क्षण बरसे अमृत चंदन।।